मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान
- राष्ट्रीय उद्यान ऐसे आरक्षित क्षेत्र होते हैं जहां वन्यजीवो एवं वनों को पूर्ण रूप संरक्षण प्रदान किया जाता है। राष्ट्रीय उद्यान में किसी भी प्रकार की मानवीय गतिविधियों पर एवं पशुचारण पर पूर्णता प्रतिबंध होता है। इसमें एक से अधिक पारिस्थितिकी तंत्र शामिल होते हैं।
- वनों को नैसर्गिक आवास प्रदान करने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 1974 के वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण्य स्थापित किए गये हैं ।
- मध्य प्रदेश वन संपदा एवं जैव विविधता से भरा होने के कारण मध्यप्रदेश भारत में टाइगर स्टेट के नाम से जाना जाता है। मध्य प्रदेश की पहचान टाइगर स्टेट के रूप में स्थापित है ।
- यहां पर 6 बाघ परियोजना क्षेत्र संचालित हैं बांधवगढ़, कान्हा, पन्ना, सतपुड़ा, पेच, संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान व दो अभ्यारण घाटीगांव तथा करेरा को सोन चिड़िया के लिए संरक्षित किया गया है ,सैलाना व सरदारपुर अभ्यारण को खरमोर पक्षी के लिए साथ में चंबल और केन नदी के एक बड़े भाग को जलीय प्राणी के लिए संरक्षित किया गया है ।
- महत्वपूर्ण तथ्य
राष्ट्रीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 मध्यप्रदेश में 11 राष्ट्रीय उद्यान तथा 31 राष्ट्रीय अभ्यारण है इसमें से 6 राष्ट्रीय उद्यान प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत शामिल किए गए हैं। - ओमकारेश्वर (खंडवा) नया राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया है मध्य प्रदेश के 6उद्यान राष्ट्रीय प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किए गए हैं, जो देश में सर्वाधिक हैं दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र।
- मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान है जिसका क्षेत्रफल 940 वर्ग किलोमीटर है।
- मध्य प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान जीवाश्म राष्ट्रीय डिंडोरी है जिसका क्षेत्रफल 0.27 वर्ग किलोमीटर है।
- देश में राष्ट्रीय उद्यानों तथा अभ्यारण्यों की दृष्टि से मध्य प्रदेश का प्रथम स्थान है।
- विश्व में प्रोजेक्ट टाइगर के जन्मदाता के रूप में गेनी मैनफोर्ड को जाना जाता है जबकि भारत में इसकी जन्मदाता कैलाश चंद्र सांकला को जाना जाता है।
- 24 अक्टूबर 1989 को मध्यप्रदेश शासन द्वारा घोषित अधिसूचना के अनुसार वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत मध्यप्रदेश में पूरे वर्ष सभी प्रकार के वन्य प्राणी एवं पक्षियों का शिकार पूर्णता प्रतिबंधित है ।
- रायसेन रातापानी अभ्यारण को प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया है यह एकमात्र अभ्यारण है, जिससे टाइगर प्रोजेक्ट में के रूप में शामिल किया गया है।
कान्हा किसली राष्ट्रीय
- यह राष्ट्रीय उद्यान अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात है।
- कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान मंडला जिले में है।
- इसे 1933 में सर्वप्रथम अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था ।
- इसे 1955 प्रदेश का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
- इसे 1974 में पहला टाइगर प्रोजेक्ट घोषित किया गया।
- कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान में पार्क इन्टरप्रिवेंशन योजना लागू है । यह योजना अमेरिका के नेशनल पार्क सर्विस के सहयोग से है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में हालो घाटी और बंजर घाटी प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में ब्रेडरी प्रजाति का बारहसिंघा पाया जाता है ।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में सर्वाधिक बाघों की संख्या पाई जाती है ।
- इस राष्ट्रीय उद्यान का सबसे बड़ा यह प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 940 वर्ग किलोमीटर है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघ, तेंदुआ, बायसन ,बारहसिंघा ,नीलगाय, सोन कुत्तों का प्रवास है ।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में वन संरक्षण वादियों के अनुसार कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान का मूल्यांकन एशिया की सबसे अच्छी राष्ट्रीय उद्यान में किया जाता है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान और अन्य जाति के वृक्षों से भरा है इस राष्ट्रीय उद्यान में दुर्लभ प्रजाति का बारहसिंघा भी पाया जाता है ।
- यह उद्यान 16 अक्टूबर से 30 जून तक खुला रहता है ।
- इस राष्ट्रीय उद्यान को पर्यटन की दृष्टि से एक अच्छे स्थान के रूप में जाना जाता है।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान
- बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान विंध्य पर्वतमाला के पूर्वी क्षेत्रों में पहाड़ियों की श्रृंखला से घिरा राष्ट्रीय उद्यान उमरिया जिले में स्थित है।
- पहले बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान जंगल का संरक्षण रीवा के महाराज के शिकारगाह के रूप में किया जाता था ।
- यह राष्ट्रीय उद्यान 32 पहाड़ियों से घिरा हुआ है।
- 1968 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया।
- 1993 में इसे प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में सर्वाधिक बाघों का घनत्व पाया जाता है प्रति 8 किलोमीटर पर एक बाघ पाया जाता है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान सफेद शेर के लिए जाना जाता है ।
- इसका क्षेत्रफल 437 वर्ग किलोमीटर है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान के बीचो-बीच से चरण गंगा नदी गुजरती है।
- इसमें मुख्य रूप से साल के वृक्ष पाए जाते हैं।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघ, तेंदुए, भेड़िए, सियार, भालू ,सूअर ,चीतल, सांभर प्रमुख है।
- इस उद्यान में 250 प्रकार के पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं।
- जिसमें प्रमुख जंगली कौवा, मोर, सफेद बागुल बगुला ग्रे हॉर्नबिल रेड वेलवेट लिविंग वॉटर आदि ।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान
- पन्ना राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के उत्तर मध्य भाग में स्थित है ।
- इस राष्ट्रीय उद्यान को 1981 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्रदान किया गया।
- इस राष्ट्रीय उद्यान को 1995 में प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत शामिल किया गया।
- पन्ना राष्ट्रीय उद्यान रेप्टाइल्स के लिए संरक्षित है।
- यह एकमात्र ऐसा राष्ट्रीय उद्यान है जिसमें विमान सेवा उपलब्ध है ।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में बांध, तेंदुआ, सांभर ,गौर , हिरन आदि पाए जाते हैं।
- केन नदी पन्ना राष्ट्रीय उद्यान की जीवन रेखा है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में 200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं जिसमें प्रमुख पैराडाइज फ्लाई कैचर, बगुला, तीतर ,बटेर, मैंना ,बुलबुल ,कोयल प्रमुख है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में सरीसृप प्रजाति विशेष रूप से पाई जाती है जिसमें गिरगिट, भारतीय अजगर, कोबरा और अन्य जहरीले सांपों का भी संरक्षण किया जाता है।
- केन नदी में घड़ियाल अभयारण्य को घड़ियालो को संरक्षण स्थापित किया गया है ।
- यहां की यात्रा का बेहतर समय दिसंबर से मार्च का होता है ।
पेंच राष्ट्रीय उद्यान (इंदिरा प्रियदर्शनी राष्ट्रीय उद्यान)
- इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम पेंच नदी के नाम पर इसका नाम रखा गया है।
- यह छिंदवाड़ा व सिवनी जिले में स्थित है।
- इसे 1975 में राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया।
- इसे 1983 में प्रोजेक्ट टाइगर घोषित किया गया।
- इसका क्षेत्रफल 293 वर्ग किलोमीटर है ।
- यह राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र की सीमा में स्थित है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघ, सांभर, तेंदुआ, चीतल, हिरण, जंगली सूअर आदि का पाए जाते हैं।
- इस राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र को मोगली लैंड के नाम से जाना जाता है ।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में सागौन एवं अन्य अन्य मिश्रित बन पाए जाते हैं।
माधव राष्ट्रीय उद्यान
- प्राचीन काल से ही शिवपुरी जिले में स्थित यह क्षेत्र ग्वालियर के महाराज का शाही शिकारगाह था ।
- यह राष्ट्रीय उद्यान आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित है।
- यह वनीय सघनता तथा पक्की सड़कों के लिए विख्यात है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में जॉर्ज कैसल नाम का एक भवन पहाड़ियों पर स्थित है ।
- इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1958 में की गई थी।
- यहां इस राष्ट्रीय उद्यान में शेर, चीता, तेंदुआ, हिरण, सांभर, नीलगाय, चिकारा ,चीतल, जंगली सूअर आदि वन्य प्राणी पाए जाते हैं ।
- यह राष्ट्रीय उद्यान में मनिहार नदी बहती है ।
- यहां पर लकड़बग्घा पाया जाता है।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान
- यह राष्ट्रीय उद्यान होशंगाबाद जिले में है।
- यह प्रदेश का पांचवा प्रोजेक्ट टाइगर है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान को 1983 में स्थापित किया गया था
- यह सतपुडा रेंज की पहाड़ियों से घिरा है सतपुड़ा उद्यान के अंतर्गत पचमढ़ी और बोरी वन्यजीव अभ्यारण क्षेत्र भी शामिल है।
- इसका क्षेत्रफल 525 वर्ग किलोमीटर है।
- इस उद्यान में बाघ, तेंदुआ, मंजुक, हिरन, आदि वन्य प्राणी पाए जाते हैं। इस उद्यान में कृष्ण वर्गों की संख्या सबसे अधिक है।
- प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ इस उद्यान के अंदर है ।
- सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान 1999-2000 में टाइगर प्रोजेक्ट में शामिल किया गया ।
- इस उद्यान की यात्रा का आदर्श समय नवंबर से जून होता है ।
संजय राष्ट्रीय उद्यान
- यह राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के सीधी तथा छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में है विभाजन के पहले सर्वाधिक क्षेत्रफल वाला राष्ट्रीय उद्यान था , 1938 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ था।
- वर्तमान में मध्यप्रदेश में 466.7 वर्ग किलोमीटर है।
- 1981 में से राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्रदान किया गया।
- 2008 में इसे छठ में टाइगर प्रोजेक्ट के रूप में घोषित किया गया।
- संजय अभ्यारण का पुराना नाम डुबरी अभयारण्य था।
जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान
- यह मध्य प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान हैं ,यह डिंडोरी जिले में स्थित यह जीवाश्म उद्यान जीवाश्म से समृद्ध है ।
- यहां पर निवासी लगभग 7 लाख वर्ष प्राचीन है जिसमें वनस्पति और जंतु जगत की विकास की चरणबद्ध प्रक्रिया के रहस्य को समझा जा सकता है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 0.27 वर्ग किलोमीटर है ।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में वनस्पति तथा जीवाश्म को संरक्षित किया गया है।
- यहां भारत के चार जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है।
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान
- यह मध्य प्रदेश की राजधानी अर्थात झीलों की नगरी भोपाल में स्थित है।
- यह क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरा छोटा राष्ट्रीय उद्यान है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 4.45 वर्ग किलोमीटर है ।
- इसमें मध्य प्रदेश के सभी प्राणी पाए जाते हैं ।
- 1979 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
- यह एकमात्र ऐसा वन्य उद्यान है जो स्थल बाहर संरक्षण केंद्र है इसे भारतीय केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा प्रावधिक मान्यता दी गई दी गई है।
- कानूनी संरक्षण को ध्यान में रखते हुए इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया है लेकिन इसका प्रबंधन चिड़ियाघर उद्यान के रूप में किया जाता है।
- यहां पर वन्य प्राणियों के प्राकृतिक आवास दिया गया है।
ओम कालेश्वर राष्ट्रीय उद्यान
- यह राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में प्रस्तावित है ।
- इस राष्ट्रीय उद्यान की घोषणा मध्य प्रदेश भारत सरकार द्वारा की जा चुकी है ।
- बाघ जीवाश्म उद्यान 2004 में इसे राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया इस राष्ट्रीय उद्यान में डायनासोर राष्ट्रीय उद्यान प्रदेश के धार जिले में प्रस्तावित है ।