हड़प्पा सभ्यता की अर्थव्यवस्था
- हड़प्पा सभ्यता की कृषि – फसलें, चावल, गेहूं, कपास, खजूर, जोै, दालें आदि का उत्पादन होता था।
- पशुपालन – भारवाहक पशुु जैसे ऊंट और गधे, कृषि सहायक पशु – सांड( कुबडवाला), मांस के लिए बकरी व भेडों का प्रयोग किया जाता होगा।
- शिल्प उत्पादन और विनिर्माण – हड़प्पा सभ्यता की अर्थव्यवस्था में कृषि अधिशेष ने सिर्फ उत्पादन और विनिर्माण को प्रोत्साहित किया तथा कांस्यकार, ताम्रकार सुनार चांदी एवं टीम के काम करने वाल शिल्पकार एवं आभूषण निर्माता ,कपड़े की बुनाई सिलाई , सिलो का निर्माण , ईटों का विनिर्माण मिट्टी के बर्तन धातु के उपकरण एवं हथियार, बर्तन खिलौने कार , आग में पक्की मिट्टी की मूर्तियां ( मृणमूर्तियां) आदि !
- व्यापार – सिंधु घाटी की सभ्यता का का व्यापार काफी संपन्न सभ्यता था यह ना सिर्फ पड़ोस व्यापार करते थे बल्कि दूरस्थथ और आंतरिक व्यापार भी करते थे ग्रामीण और नगरीय तालमेल से ग्रामीण कृषि अतिशेष और शिल्पाें मे वृद्धि के कारण विदेशी व्यापार को बढ़ावा मिला
- आंतरिक व्यापार – गुजरात, राजस्थान कर्नाटक
- दूरस्थ व्यापार क्षेत्र में व्यापार – मिस्र मेसोपोटामिया ,मध्यएशिया, ओमान पड़ोसी क्षेत्रों में व्यापार-ईरान बलूचिस्तान अफगानिस्तान।
- आयातित वस्तुएं – सोना, चांदी, ताबां ,महत्वपूर्ण पत्थर जैसे लाजवर्त मणि और नीलम तथा खुशबूदार तेल आदि ।
- निर्यातित वस्तुएं – सोने चांदी के आभूषण , कांसे के उपकरण ,मूर्तियां मिट्टी के बर्तन, कपास ,अनाज ,लकड़ी के सामान , सूती कपड़े हाथी दांत मनके आदि।
- महत्वपूर्ण बंदरगाह – लोथल सुत्कागेंनडोर, सुत्कोटडा़,आल्हादीनो आदि।
- मध्यस्थ स्टेशन – बहरीन( दिलमन्), ओमान (मकरान तट)।
- विनिर्माण क्षेत्र – लोथल,आल्हादीनो, भगतराव,हड़प्पा कालीनबंगा, मोहनजोदारो।
- मुद्रा अर्थव्यवस्था हड़प्पा सभ्यता की अर्थव्यवस्था में सिक्कों के कोई भी साक्ष्य नहीं मिले हैं, अतः लेनदेन के लिए विनिमय प्रणाली का प्रयोग किया जाता था।
हड़प्पा सभ्यता में वैज्ञानिक विकास और उपलब्धियां
हड़प्पा सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप में प्रथम नगरीकरण का प्रतिनिधित्व करती है, इस सभ्यता की उपलब्धि सराहनीय है वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षेत्र में भी हड़प्पाई लोगों की उपलब्धियां महत्वपूर्ण है।
- गणित व अंक माला – हड़प्पा सभ्यता के लोगों को अंको का ज्ञान था वह 16 के गुणकों में गिनते थे जैसे 16,32,64 ।
- मापन – हड़प्पा सभ्यता के लोग तौल की इकाई के लिए पत्थर एवं लंबाई मापने के लिए स्केल जोकि सीप ,हाथीदांत और तांबे का बना होता था का इस्तेमाल करते थे
- नक्षत्र ज्ञान – हड़प्पा की मुहर पर मछली के पीछे 7 लकीरे अंकित हैं जो लोगों के तारामंडल , तारों के समूह की जानकारी को दर्शाते हैं
- ज्यामितीय ज्ञान – हड़प्पा सभ्यता के लोगों ने बहुत अच्छी तरह से नगर नियोजन किया है, फिर सड़कें कई सारे भवन ईटों का निर्माण इन सभी में गणित की इस शाखा का भरपूर उपयोग होता है।
- धातु विज्ञान– सिंधु घाटी की सभ्यता एक कांस्य युगीन सभ्यता थी अर्थात यह लोग टीन और तांबे के बारे में जानकारी रखते थे फिर धातु के प्रगलन उनकी विभिन्न प्रयोग जैसे बर्तन, हथियार (भाला, कुल्हाड़ी), उपकरण( चाकू ,आरी )मूर्तियां (कांसे की नर्तकी मोहनजोदारो) आदि मैं इस विद्या का प्रयोग करते थे।
- चिकित्सा क्षेत्र -हड़प्पा में जहां दो मानव मूर्तियां ऐसी मिली हैं जिनसे शरीर संरचना का ज्ञान होता है वही लोथल और कालीबंगा में शिशु नर कंकाल मिले हैं जिनके कपाल खंड पर शल्य चिकित्सा के निशान हैं जो चिकित्सा क्षेत्र में हड़प्पा सभ्यता के लोगों के ज्ञान को दर्शाते हैं।
- सिंचाई– हड़प्पा सभ्यता एक व्यापार के साथ-साथ कृषि आधारित सभ्यता भी थी अतः बाढ़ पर नियंत्रण और सिंचाई के तरीकों से वे भलीभांति परिचित थे धोलावीरा के जलाशय, विभिन्न स्थापत्य के प्रांगण में कुएं आदि इस बात की ओर संकेत करते हैं।
- नक्षत्र ज्ञान– हड़प्पा नगर में एक मुहर पर मछली के पीछे साथ लकीरें खींची हुई दर्शाई गई हैं यह बताता है कि वह तारामंडल या तारों के बारे में जानकारी रखते थे फिर इतने बड़े व्यापार को संचालित करने के लिए इन्हें नौकायान की भी आवश्यकता थी अतः ने दिशाओं का भी ज्ञान था।
यह उपलब्धि या ना सिर्फ आश्चर्यजनक है बल्कि गर्व का विषय भी है, इस विरासत को समाज द्वारा सही तरीके से आगे नहीं बढ़ाया गया इस सभ्यता के ऊपर अभी और अधिक अनुसंधान करने की आवश्यकता है।
This article is written by Sarvesh Nagar (NET/JRF – History).
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