गुप्तकालीन विज्ञान व तकनीकी विकास
गुप्त काल में वैज्ञानिक व तकनीकी विकास को विशेष महत्व दिया गया इस समय भारत में अनेक विद्वान व वैज्ञानिक हुए वे निम्न प्रकार हैं
आर्यभट्ट
- आर्यभट्ट प्राचीन भारत के एक महान गणितज्ञ व खगोलविद है।
- यह पाई के मान ,ट्रिग्नोमेट्री ,संख्या पद्धति के ज्ञाता है।
- आर्यभट्ट का जन्म 476 – 550 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र अर्थात आधुनिक पटना( बिहार )में हुआ था।
- इन्होंने बहुत कम वर्ष की उम्र में आर्यभट्ट नामक पुस्तक की रचना की थी ,और इनकी दूसरी पुस्तक आर्य सिद्धांत है।
- आर्य सिद्धांत में उन्होंने नक्षत्र विज्ञान से संबंधित अनेक यंत्रों के बारे में लिखा है।
- जीरो का सही मान आर्यभट्ट ने ही दिया था।
- पृथ्वी अपनी कक्षा पर घूमते हुए सूर्य का चक्कर लगाती है, और चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता लगाता है व इन्होंने चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के कारणों का भी पता लगाया।
- गणित का सवाल हल करने के लिए पाई के मान का प्रयोग आर्यभट्ट की ही देन है। पाई का सही मान 22 / 7 या 3. 1416 आर्यभट्ट ने ही दिया ।आज विश्व में पाई का यही मान प्रचलित है, इस महान गणितज्ञ वा खगोलविद के नाम पर ही भारत का प्रथम सैटेलाइट का नाम आर्यभट्ट रखा गया। भारत का प्रथम सेटेलाइट आर्यभट्ट 19 अप्रैल 1975 को प्रक्षेपित किया गया था।
वराह मिहिर
- वराह मिहिर गणितज्ञ , खगोलविद व नक्षत्रविद जिन्होंने वृहतसंहिता, वृहतजातक, पंचसिद्धांतिका जैसे महान ग्रंथों की रचना की है।
- वराहमिहिर का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैनी में हुआ।
- ट्रिग्नोमेट्री में संकेत टेबलों को सही बनाने के बाद वर्तमान समय में भी इसका प्रयोग होता है।
- इन्होंने पास्कल त्रिभुज की बाइनोमिनल नंबरों में नए आयामों को जोड़ा।
- ब्रह्मांड की रचना पृथ्वी का अक्षीय भ्रमण वराहमिहिर ने ही ज्ञात किया।
- वराहमिहिर वास्तु विद्या के आचार्य भी थे।
ब्रह्म गुप्त
- ब्रह्म गुप्त का जन्म राजस्थान के भिल्लमाल नामक स्थल पर हुआ।
- यह सम्राट हर्ष के समकालीन रहे। इन्हें भिल्लमाचार्य के नाम से भी जाना जाता है।
- यह मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित वेधशाला के प्रमुख थे।
- इन्होंने ब्रम्हस्फुटसिद्धांत व पंचांग निर्माण विधि की रचना किये।
- ब्रह्मगुप्त को जीरो का जन्मदाता माना जाता है, इसे जोड़ने ,घटाने गुणा ,भाग करने की नियमों की जानकारी जनरल लीनियर इक्वेशन का हल ब्रह्मगुप्त ने दिया।
- ब्रह्मगुप्त की पुस्तक ब्रह्मस्फुट सिद्धांत है इस पुस्तक का अरबी भाषा में भी अनुवाद किया गया । इसे अरबी में सिंद- हिंद नाम दिया है। ब्रह्मगुप्त पहले विद्वान थे जिन्होंने गणित के सिद्धांतों का प्रयोग ज्योतिष में किया।
भास्कराचार्य प्रथम
- विश्व में सभ्यताओं की विकास के साथ ही इन्होंने जोड़ने ,घटाने ,गिनने जैसी तकनीकी का विकास किया।
- संख्या 9 के बाद दहाई, सैकड़ा के लिए अलग से चिन्ह दिए है।
- भारतीय गणितज्ञ भास्कराचार्य प्रथम ने 600 ईस्वी में छोटे से गोले को नंबर सिस्टम में जोड़ा और संख्याओं के नए स्वरूप को लेना प्रारंभ किया।
धनवंतरी
- धनवंतरी को आयुर्वेद का प्रथम आचार्य व प्रवर्तक माना जाता है।
- इन्होंने धन्वंतरि संहिता नामक ग्रंथ की रचना की है।
- इनके द्वारा प्रेरणा लेकर शल्य चिकित्सा शास्त्र के प्रवर्तक सुश्रुत और नागार्जुन आयुर्वेद में नए सिद्धांतों को लेकर आए ।
सुश्रुत
- सुश्रुत शल्य चिकित्सा पद्धति के विख्यात आयुर्वेदाचार्य माने गए हैं।
- इन्होंने अपनी पुस्तक सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा का वर्णन किया है। सुश्रुत ने ही त्वचा रोपण अर्थात प्लास्टिक सर्जरी और मोतियाबिंद, शल्य चिकित्सा की क्रिया का विकास किया था ।
- सुश्रुत को विश्व का प्रथम शल्य चिकित्सक भी कहा जाता है।
चरक
- चरक एक आयुर्वेदाचार्य व महर्षि के रूप में जाने जाते हैं।
- यह कुषाण वंश के राजा कनिष्क के दरबार में राजवैद्य थे।
- चरक द्वारा रचित आयुर्वेद का प्रसिद्ध ग्रंथ चरक संहिता है ।
- चरक संहिता में इन्होंने रोगनाशक एवं रोगनिरोधक दवाओं का उल्लेख किया है ।सोना, चांदी ,लोहा, पारा धातु के भस्म के प्रयोग का वर्णन भी चरक संहिता में मिलता है।
- आचार्य चरक ने आचार्य अग्निवेश के द्वारा रचित अग्निवेशतंत्र में कुछ अध्ययनों को जोड़कर इसका नया स्वरूप चरक संहिता के नाम से जाना गया।
- चरक को औषधि विज्ञान के जनक के रूप में जाना जाता है।