खाद्य संरक्षण आयोग
Mppsc Pre Unit 10
खाद्य संरक्षण आयोग एक सांविधिक संस्था है, जिसका गठन खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 की धारा 16 अंतर्गत किया गया।
खाद्य सुरक्षा कानून 2013 :: प्रमुख तथ्य
- खाद्य सुरक्षा कानून 2013 का मूल उद्देश्य प्रत्येक भारतीय को पोषण युक्त भोजन प्रदान करना है, जो उचित गुणवत्ता के साथ पर्याप्त मात्रा में एवं वहनीय दरों पर उपलब्ध हो।
- खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013, 5 जुलाई 2013 से लागू हुआ, हालांकि इस पर राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर 12 सितंबर 2013 में किए गए थे। अर्थात यह अधिनियम भूतलक्षी प्रभाव से लागू किया गया।
- खाद्य सुरक्षा अधिनियम विश्व की सबसे बड़ी सब्सिडी कार्यक्रम के अंतर्गत आता है, जिसके अंतर्गत भारत की दो तिहाई आबादी लाभार्थी की श्रेणी में शामिल है।
- इस अधिनियम का अन्य नाम राइट टू फूड / भोजन का अधिकार भी है।
- इस अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को गेहूं,चावल एवं मोटा अनाज पर सब्सिडी दी जाती है, जिसके अंतर्गत गेहूं ₹2 प्रति किलो, चावल ₹3 प्रति किलो, और मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी ₹एक रुपए प्रति किलो दिए जाते हैं। इसके अंतर्गत किसी भी श्रेणी का 5 किलो अनाज प्रतिमाह दिया जाता है।
- खाद्य सुरक्षा कानून के अंतर्गत 75% ग्रामीण एवं 50% शहरी आबादी लाभार्थी की श्रेणी में शामिल है।
- इस कानून के अंतर्गत लाभार्थी की पहचान सुनिश्चित करना, राज्य सरकार का दायित्व है।
- इस कानून के अंतर्गत गर्भवती, प्रसूति महिलाओं को, एवं चयनित बच्चों को निशुल्क भोजन का भी प्रावधान किया गया है।
मध्यप्रदेश खाद्य संरक्षण आयोग
- पृष्ठभूमि – खाद्य संरक्षण आयोग के गठन का प्रारंभिक प्रावधान खाद्य सुरक्षा कानून 2013 में किया गया था, हालांकि मध्य प्रदेश सहित महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और बिहार की सरकार द्वारा इसका गठन न किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ (एम बी लोकुर एवं एन वी रमन्ना की खंडपीठ) द्वारा 26 अप्रैल 2017 को फटकार लगाई गई। जिसके पश्चात जुलाई में राज्य सरकार द्वारा इसका गठन किया गया।
- मध्य प्रदेश खाद्य संरक्षण आयोग का गठन 21 जुलाई 2017 को खाद्य सुरक्षा कानून 2013 की धारा 16 के अंतर्गत किया गया।
- आयोग की संरचना – इस आयोग में एक अध्यक्ष, 5 सदस्य तथा एक सदस्य सचिव शामिल है, सदस्यों में अनिवार्यतः एक सदस्य अनुसूचित जाति से, एक सदस्य अनुसूचित जनजाति से तथा 2 सदस्य महिला होना चाहिए। (कुल 7)
- वर्तमान अध्यक्ष एवं सदस्य – अध्यक्ष – राजकिशोर सवेन (Swain) – IAS (retd.) सदस्य – दुर्गा डाबर (मंदसौर), किशोर खंडेलवाल (उज्जैन), राजीव चंद्र दुबे( सदस्य सचिव – IAS)।
- कार्यकाल – खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 की धारा 16(4) के अंतर्गत अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष का कार्यकाल या 65 वर्ष उम्र जो भी पहले हो, का होगा, एवं वे पुनः नियुक्ति के पात्र होंगे (* किंतु 65 वर्ष उम्र से अधिक नहीं)।
- मुख्यालय – सतपुड़ा भवन, भोपाल।
- वेतन एवं सेवा शर्तें – खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 की धारा 17 के अंतर्गत अध्यक्ष व सदस्यों के वेतन एवं सेवा शर्तों का निर्धारण राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा।
- अधिनियम की धारा 16 (7) के अंतर्गत राज्य सरकार का यह दायित्व होगा कि वह आयोग को आवश्यक कर्मचारी उपलब्ध कराएगी।
- नियुक्ति – आयोग के अध्यक्ष एवं सभी सदस्यों की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी।
- खाद्य संरक्षण आयोग को सिविल न्यायालय की शक्तियां प्राप्त हैं।
- खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है कि, दो या दो से अधिक राज्य मिलकर संयुक्त खाद्य आयोग भी बना सकते हैं।
- खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 16 (9) के अंतर्गत राज्य खाद्य संरक्षण आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को राज्य सरकार द्वारा उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकता है, जिन आधारों पर राज्य सूचना आयुक्त को उसके पद से हटाया जाता है। पद से हटाने के आधार – जो अध्यक्ष या सदस्य – शारीरिक या मानसिक रूप से कार्य करने में असमर्थ हो, दिवालिया हो गया हूं, किसी अपराध के लिए दोष सिद्ध हो गया हो, अपने पद का दुरुपयोग किया गया हो, जिसने ऐसी वित्तीय या अन्य हित अर्जित कर लिया है जिससे सदस्य के रूप में उसके कृत्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है।
- नियुक्ति की प्रक्रिया – अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति हेतु सर्वप्रथम एक समिति का गठन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में किया जाता है, जिसमें सामान्य प्रशासन विभाग, खाद्य विभाग, उपभोक्ता कल्याण विभाग, महिला एवं बाल विकास, पंचायत एवं ग्रामीण विकास जैसे विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं, यह अधिकारी संबंधित अध्यक्ष एवं सदस्य की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को अनुशंसा करते हैं। इस आयोग की अनुशंसा सलाहकार प्रकृति की होती है यदि राज्य सरकार चाहे तो वह समिति द्वारा सुझाए गए नामों के अतिरिक्त किसी अन्य प्रशासनिक पदाधिकारी को इस पद पर नियुक्त कर सकती है।
- अध्यक्ष एवं सदस्यों की योग्यताएं (एलिजिबिलिटी) – खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 की धारा 16 (3) के अंतर्गत निम्न योग्यताओं का वर्णन किया गया है
- आयोग का अध्यक्ष मुख्य सचिव स्तर का पदाधिकारी हो या रहा हो।और सदस्य सामान्य तौर पर अखिल भारतीय सेवा या राज्य सेवाओं के सदस्य हो या रहे हो, यदि उपरोक्त वर्णित प्रशासनिक अधिकारियों के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों की नियुक्ति की जाती है तो उनके पास अनिवार्यतः बिंदु क्रमांक 2 एवं 3 में से योग्यताएं होनी चाहिए।
- अखिल भारतीय सेवा या राज्य सेवाओं के सदस्य हैं,या रह चुके हैं, और उन्हें कृषि सिविल आपूर्ति, पोषण, एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में या किसी संबंधित क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा नीति बनाने और प्रशासन संबंधी मामलों का ज्ञान और अनुभव हो।
- सार्वजनिक जीवन में ऐसे विख्यात व्यक्ति जिन्हें कृषि,, विधि, मानव अधिकार, समाज सेवा, प्रबंधन, पोषण, स्वास्थ्य खाद्य संबंधी नीति या लोक प्रशासन का व्यापक ज्ञान या अनुभव प्राप्त हो।
- ऐसे व्यक्ति जिनके पास निर्धनों के खाद्य और पोषण संबंधी अधिकारों में सुधार लाने से संबंधित कार्य करने के प्रमाणित रिकॉर्ड हो।